सोनीपत बड़ा जैन मंदिर जी
-sonepat-bada-mandir-.jpg

एक दृष्टि में

  • नाम
    श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर, हलवाई हटा
  • निर्माण वर्ष
    मंदिर जी का गर्भगृह 500 वर्ष प्राचीन है
  • स्थान
    हलवाई हटा, सोनीपत, हरियाणा
  • मंदिर समय सारिणी
    सुबह 6 बजे से रात्रि 8 बजे तक
मंदिर जी का परिचय
-sonepat-bada-mandir-.jpg

श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर जी का निर्माण आज से 500 वर्ष पूर्व जैन समाज द्वारा करवाया गया था। मंदिर जी का मुख्य द्वार बहुत प्राचीन एवं विशाल है। मंदिर जी के परिसर में मुख्य द्वार से प्रवेश करने पर खुला आँगन आता है। खुले आँगन के पश्चात सीढ़िया चढ़कर हम मंदिर जी के अंदर बड़े हॉल में प्रवेश करते है। हॉल में प्राचीन वास्तुकला बारहदरी द्वारा बारह बुर्ज का निर्माण किया गया है।

आगे बढ़ते हुए हम मंदिर जी के गर्भगृह में प्रवेश करते है। मंदिर जी की मूलनायक प्रतिमा श्री 1008 पार्श्वनाथ भगवान जी की है, जिस पर विक्रम सम्वत 1668 उत्कृण है। मूलनायक प्रतिमा को स्वर्ण की कटनी पर विराजमान किया गया है, जिसके दर्शन बड़े दुर्लभ है। मंदिर जी की द्वितीय वेदी भी पार्श्वनाथ भगवान जी की है, जिसमें 108 फण वाली भगवान पार्श्वनाथ जी की मूलनायक प्रतिमा के साथ दो अन्य काले पाषाण से निर्मित भगवान पार्श्वनाथ जी की प्रतिमाएँ विराजित है। तृतीया वेदी में मूलनायक प्रतिमा शांतिनाथ भगवान जी की लाल पाषाण से निर्मित विराजमान है। चौथी वेदी में नेमिनाथ भगवान जी की मूलनायक प्रतिमा के साथ चौबीसी विराजमान है। मंदिर जी की पाँचवी वेदी में मूलनायक प्रतिमा प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ भगवान जी की है। पाँचवी वेदी का निर्माण श्री जयवंत जैन जी द्वारा वर्ष 1998 में कराया गया।

मंदिर जी के शिखर के आंतरिक भाग में प्राचीन कालीन स्वर्ण का कार्य किया गया है। बताया जाता है की एक बार मंदिर जी के शिखर पर बिजली गिर गई थी, लेकिन फिर भी मंदिर जी में अधिक नुकसान नहीं हुआ। बिजली के निशान आज भी गर्भगृह में देखने को मिलते है। बड़ा मंदिर जी की निर्माण कला को लेकर बहुत अद्भुत कला देखने को मिलती है। मंदिर जी के शिखर के अंदर एक अन्य शिखर का निर्माण किया गया है। ऐसा इसलिए किया गया था, ताकि अगर कभी मंदिर जी पर हमला हो तो हमला करने वाले केवल ऊपर के शिखर को ही ध्वस्त कर सके तथा मंदिर जी का आंतरिक शिखर बच जाए। प्रतिदिन जैन समाज के श्रावकों द्वारा पूजा-प्रक्षाल एवं अभिषेक किया जाता है। समिति द्वारा मंदिर जी में आने वाले श्रावकों की शुद्धता का संपूर्ण रूप से ध्यान रखा जाता है।


देवो के साथ मल-युद्ध

सोनीपत के बड़ा मंदिर जी के परिसर में रथ के लिए एक स्थान बना हुआ है, जहाँ से रथ केवल यात्रा के दौरान ही निकाला जाता है। बताया जाता है की वह स्थान देवों का है। रात्रि के समय उस स्थान से देव मंदिर जी में प्रवेश करते है, वे उनके मार्ग में आने वाली हर वस्तु को हटा देते है। एक रात्रि मंदिर जी के चौंकीदार का पुत्र अमर सिंह मंदिर जी के आँगन में खाट बिछाकर विश्राम कर रहा था। अमर सिंह इस बात से अपरिचित था, कि मंदिर जी में रात्रि के समय देव आते है। तभी देवों के आने का समय होता है। एक देव आकर अमर सिंह को कहते है कि हमें मंदिर जी में जाना है अतः मार्ग से हट जाओ। लेकिन अमर सिंह ने उस व्यक्ति को कहाँ की मैं तुम्हे मंदिर जी में जाने नहीं दे सकता। काफी समय तक दोनों में वार्तालाप के पश्चात मलयुद्ध शुरू हो गया। मलयुद्ध के समाप्त हो जाने पर देव ने अमर सिंह की वीरता से प्रसन्न होकर उन्हें सदैव कुश्ती में जितने का आशीर्वाद दिया।


जैन समाज एवं सुविधाए

भारत की राजधानी दिल्ली से लगभग 45 किलोमीटर तथा सोनीपत बस स्टैंड से 600 मीटर की दुरी पर हलवाई हट्टा में श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर जी स्थित है। मंदिर जी के आस पास लगभग सौ दिगम्बर जैन परिवारों का समाज है। क्षेत्र में कुल पाँच दिगम्बर जैन मंदिर स्थित है। सभी मंदिरों का संचालन श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर जी के द्वारा ही किया जाता है। मंदिर जी में दर्शन करने के लिए आने वाले यात्रियों के लिए रुकने की व्यवस्था बनी हुई है। यात्रियों के रुकने की व्यवस्था सेठ चेतनलाल जैन धर्मशाला तथा पारसदास जैन धर्मशाला में की जाती है। दोनों धर्मशालाओं में दस-दस कमरों की व्यवस्था बनी हुई है। मंदिर जी में जैन मुनि महाराज जी के आने पर रुकने की व्यवस्था त्यागी भवन में की जाती है। बड़ा जैन मंदिर जी के परिसर में ही निर्मित स्कूल में पाँचवी कक्षा तक बच्चों को नाममात्र शुल्क पर शिक्षा उपलब्ध कराई जाती है। जैन समाज द्वारा निर्मित जैन विद्या मंदिर स्कूल सोनीपत में बारहवीं कक्षा तक जैन के साथ-साथ अजैन समुदाय के बच्चों को भी शिक्षा उपलब्ध करवाई जाती है।


क्षेत्र के बारे में

सोनीपत भारत के हरियाणा राज्य में स्थित एक जिला है। सोनीपत नाम संस्कृत शब्द से अपनाया गया है जिसका अर्थ सुवर्णप्रस्थ (सोने की जगह) है। नई दिल्ली से उत्तर में 43 किमी दूर स्थित इस नगर की स्थापना संभवतः लगभग 1500 ई.पू. में आरंभिक आर्यों ने की थी। सोनीपत ऐतिहासिक रूप से प्रमुख घटनाओं का साक्षात्कार करने के लिए अभिज्ञान है। यहां तीन सोनीपत युद्ध हुए थे, जिनमें मुघल साम्राज्य और इस्लामी सुलतानों के बीच महत्वपूर्ण युद्ध हुए थे। सोनीपत की स्थिति ने इसे एक महत्वपूर्ण इतिहासिक स्थान बना दिया है। सोनीपत जनपद का एक प्रमुख नगर है और यह राजनीतिक और प्रशासनिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। हरियाणा राज्य के अनेक सरकारी और निजी क्षेत्र के दफ्तर और संस्थान यहां स्थित हैं। यमुना नदी के तट पर यह शहर फला-फूला, जो अब 15 किमी पूर्व की ओर स्थानांतरित हो गया है। सोनीपत ज़िला एक मैदानी इलाक़ा है। जिनके 83 प्रतिशत हिस्से में खेती होती है। गेहूँ और चावल प्रमुख फ़सलें है, अन्य फ़सलों में ज्वार, दलहन, गन्ना, बाजरा, तिलहन और सब्ज़ियां शामिल हैं। सोनीपत के आस-पास कई सांस्कृतिक स्थल हैं, जो ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। यहां अनेक मंदिर, गुरुद्वारे और ऐतिहासिक स्थल हैं जो आकर्षक हैं। सोनीपत क्षेत्र में धारोहरिक मौजूदगी है जो ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है। यहां कई पुरातात्विक स्थल और संरक्षित क्षेत्र हैं जो इतिहास प्रेमियों के लिए महत्वपूर्ण हैं।


समिति

श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर जी के सुचारू संचालन हेतु श्री दिगम्बर जैन मंदिर समिति का निर्माण किया गया है। समिति में कार्यरत सदस्य इस प्रकार है -

प्रधान - श्री हेमंत भूषण जैन जी

सचिव - श्री मनीष जैन जी

कोषपाल - श्री अवनीश जैन जी


नक्शा