मंदिर जी का परिचय

श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन प्राचीन मंदिर, दिल्ली से 70 किलोमीटर की दूरी पर पलवल के दरबार कुआं चौंक से 50 मीटर की दूरी पर स्थित है। मंदिर जी का निर्माण आज से 300 वर्ष पूर्व जैन समाज द्वारा करवाया गया था। समय बीतने के साथ मंदिर जी की दशा में भी बदलाव आया जिस कारण वर्तमान में स्थित जैन समाज समिति द्वारा मंदिर जी का जीर्णोद्धार एवं पंचकल्याणक कार्य किया गया। मंदिर जी का पुनः निर्माण कार्य आचार्य श्री 108 वसुनन्दी जी महाराज की प्रेरणा से वर्ष 2015 में आरम्भ होकर 2019 को सम्पन्न हुआ। मंदिर जी का निर्माण कार्य पूर्ण होने के पश्चात पंचकल्याणक वर्ष 2019 में आचार्य श्री 108 गुप्तिसागर जी महाराज के सानिध्य में हुआ है। मंदिर जी का निर्माण सफेद पत्थर का प्रयोग करके किया गया है जो देखने में बड़ा सुंदर व आकर्षक प्रतीत होता है। मंदिर जी के ऊपर 71 फिट ऊँचे शिखर का निर्माण किया गया है जो पुरे क्षेत्र के सभी मंदिरों में सबसे उतंग शिखर है। मंदिर जी के शिखर के आंतरिक भाग में स्वर्ण का प्रयोग कर चित्रकारी की गई है। मंदिर जी के गर्भगृह को एक विशाल हॉल में स्थापित किया गया है। पुरे हॉल में जैन कथाओं का चित्रण सफेद दीवारों पर रंगीन चित्रकला के माध्यम से किया गया है।
मंदिर जी के हॉल में तीन वेदिया निर्मित है। मंदिर जी की मूल वेदी श्री 1008 पार्श्वनाथ भगवान जी की है। पंद्रह इंच की पार्श्वनाथ भगवान जी की यह प्रतिमा 300 वर्ष से भी अधिक प्राचीन एवं अतिशयकारी प्रतिमा है। मूलनायक प्रतिमा के साथ में ही श्री 1008 आदिनाथ भगवान, श्री 1008 पुष्पदंत भगवान, श्री 1008 शान्तिनाथ भगवान, श्री 1008 महावीर भगवान एवं श्री सिद्ध भगवान जी की प्रतिमा के साथ अन्य जैन प्रतिमाएँ विराजमान है। मूल वेदी के दाईं ओर वेदी में मूलनायक प्रतिमा श्री 1008 शान्तिनाथ भगवान जी की है। इसी वेदी में श्री पार्श्वनाथ भगवान, श्री महावीर भगवान, श्री आदिनाथ भगवान, श्री भरत एवं बाहुबली भगवान, श्री चन्द्रप्रभु भगवान एवं अन्य प्रतिमाएँ विराजमान है। मूल वेदी के बाईं ओर वेदी में मूलनायक प्रतिमा श्री 1008 अनन्तनाथ भगवान जी की है। इस वेदी में ही पाषाण एवं अष्ट धातु से निर्मित अन्य तीर्थंकरों की प्रतिमाएँ विराजमान है। मंदिर जी में समय-समय पर जैन साधु महाराज जी का चातुर्मास एवं आगमन हुआ है। मंदिर जी में सर्वप्रथम श्री 108 आनन्दसागर जी महाराज का चातुर्मास वर्ष 1995 को हुआ है। इसके बाद आचार्य श्री 108 ज्ञानभूषण जी महाराज, श्री 108 कुलभूषण जी महाराज, श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज एवं श्री 108 विज्ञान सागर जी महाराज का आगमन हुआ है। लोगों में मंदिर जी के प्रति एक विशेष आस्था जुड़ी हुई है। प्रतिदिन मंदिर जी में जैन श्रावक आकर पूजा-प्रक्षाल एवं जलाभिषेक कर धर्मलाभ अर्जित करते है।
अतिशय की कथा
पलवल में स्थित श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर बहुत ही प्राचीन एवं अतिशयकारी मंदिर है। बताया जाता है कि मंदिर जी में तीन बार प्रतिमाएँ चोरी हुई है लेकिन तीनों बार चोरों के द्वारा प्रतिमाओं को मंदिर जी में वापिस लौटा दिया गया है। जून 2006 की बात है, चोर मंदिर जी में चोरी के उद्देश्य से प्रवेश करते है। वे मंदिर जी से चार छत्र, चार सिंघासन एवं तीन जैन तीर्थंकर प्रतिमाओं को स्वर्ण का समझकर ले जाते है। जब जैन समाज को घटना का पता चलता है तो वे तुरंत ही थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाते है। लम्बे समय तक प्रयास के बावजूद पुलिस चोरों का पता लगाने में असफल रहती है। लगभग एक साल बीत जाने पर चोर स्वयं प्रतिमाओं को मंदिर जी के द्वार पर रख जाते है। जैन समाज में प्रतिमाओं के मिल जाने के कारण एक अलग ऊर्जा एवं उत्साह भर जाता है। जैन समाज द्वारा प्रतिमाओं को वेदी में विराजमान कर दिया जाता है तथा आगे से ऐसी घटना न हो इसलिए मंदिर जी में सुरक्षा और भी अधिक कर दी जाती है। यह भी कोई अतिशय ही है कि तीन बार चोरी होने के बावजूद तीनों बार प्रतिमाएँ मंदिर जी में वापिस लौट आई।
जैन समाज एवं सुविधाए
पलवल की कुल आबादी साढ़े दस लाख के लगभग है जिसमें दिगम्बर जैन समाज के परिवारों की संख्या दो सौ से ढाई सौ परिवारों की है। इतनी कम जनसँख्या के बावजूद भी जैन समाज का क्षेत्र में मुख्य योगदान है। जैन समाज के द्वारा क्षेत्र में हर प्रकार के कार्यक्रमों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया जाता है। समिति द्वारा मंदिर जी में आने वाले श्रावकों के लिए शुद्धता का महत्वपूर्ण ध्यान रखा गया है। श्रावकों के लिए स्नान घर की व्यवस्था की गई है। मंदिर जी में समय-समय पर साधु महाराज जी का आगमन होता रहता है। महाराज जी के आने पर उनके रुकने की व्यवस्था के रूप में त्यागी भवन का निर्माण किया गया है। महाराज जी के लिए आहार की व्यवस्था के रूप में भोजनशाला बनी हुई है, जहाँ सात्विक भोजन की व्यवस्था की जाती है।
पलवल क्षेत्र के बारे में
पलवल भारत के हरियाणा राज्य का एक मुख्य जिला है। यह भारत की राजधानी दिल्ली से असी किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। पलवल के साथ में हरियाणा के गुरुग्राम एवं फरीदाबाद अन्य दो राज्य मिलते है। इतिहास की बात करें तो पलवल भारत की आज़ादी में अपना अहम योगदान रखता है। यहाँ राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी की पहली राजनीतिक गिरफ्तारी हुई थी। नेताजी सुभाषचंद्र बोस जी ने पलवल में अपने हाथों से एक कमरे बनवाने के लिए नींव रखी। महात्मा गाँधी और नेताजी सुभाषचंद्र बोस जी के साथ आज़ादी की लड़ाई में पलवल के स्वतंत्रता सेनानियों ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। महात्मा गाँधी जी के साथ पलवल के लाला गोबिंदराम बेधड़क, दीपचंद सत्याग्रही, लल्लू भाई पटेल, लक्ष्मीनारायण, लछमन दास बंसल, योगेंद्र पाल भारती, लाला भनुआमल मंगला जी ने आज़ादी की लड़ाई में सहयोग किया था। उन्होंने गांधी जी के साथ जेल यात्राएँ भी कीं। पलवल यहाँ पर स्थित बाबा उदास मंदिर, पंचवटी मंदिर, पाण्डव वन, राजा नाहर सिंह किला तथा सैयद शरीफ की दरगाह के लिए दर्शनार्थियों में प्रसिद्ध है।
समिति
मंदिर जी के सुचारु रूप से संचालन के लिए मंदिर समिति का निर्माण किया गया है। समिति में कार्यरत सदस्य इस प्रकार है -
प्रधान - श्री चन्द्रसेन जैन