किरठल मंदिर जी परिचय

श्री 1008 दिगम्बर जैन मंदिर किरठल अतिशय क्षेत्र उत्तर प्रदेश के जिले बागपत में स्थित है। दिल्ली से किरठल की दूरी 83 किलोमीटर है। मंदिर जी में स्थापित प्रतिमाओं को आज से 200 वर्ष पहले राजस्थान के एक नगर से आक्रांताओ के आक्रमण से बचा कर मंदिर जी में लाकर विराजमान किया गया था। यहाँ पर विराजमान है हर प्रकार की शनि की दोषबाधा को हरने वाले श्री 1008 मुनिसुव्रतनाथ भगवान जी की चतुर्थकालीन प्रतिमा जी। जैन धर्म के छठे तीर्थंकर श्री 1008 पद्मप्रभु भगवान जी की चतुर्थकालीन प्रतिमा जी भी मंदिर जी में विराजमान है। मंदिर जी में मूल प्रतिमा श्री 1008 पार्श्वनाथ भगवान जी की लगभग 800 वर्ष प्राचीन विराजमान है। मंदिर जी में स्थापित अन्य वेदियों में श्री 1008 मुनिसुव्रतनाथ भगवान जी की, श्री 1008 पद्मप्रभु भगवान जी की व श्री 1008 नेमिनाथ भगवान जी की चतुर्थकालीन प्रतिमाएँ विराजमान है। मंदिर जी में प्रत्येक सप्ताह के शनिवार तथा रविवार को दूर के क्षेत्रों से आकर लोग दर्शन करते है। दूर-दूर से लोग मंदिर जी में आकर अपने नवग्रहों के निवारण की प्रार्थना करते है।
सुविधाएं एवं धर्मशाला
मंदिर जी के पास में ही दूर से आने वाले यात्रियों के लिए यात्री निवास बना हुआ है, जहाँ शुद्ध सात्विक भोजन का भी प्रबंध कराया जाता है। साथ ही में वाहनों के लिए पार्किंग की सुविधा भी उपलब्ध है।
बागपत, किरठल क्षेत्र के बारे में
बागपत को बागो का शहर भी कहा जाता है। 1857 की क्रांति के बाद बागपत की मुख्यता बढ़ गई। पहले यह मेरठ का हिस्सा था बाद में 1997 में बागपत को एक जिले का रूप दे दिया गया। यहाँ पर मुख्य गुड़ तथा चीनी का व्यवसाय किया जाता है। बागपत में त्रिलोक तीर्थ धाम, श्री पार्श्वनाथ भगवान अतिशय क्षेत्र अन्य जैन मंदिरों का निर्माण किया हुआ है। बागपत का सम्बन्ध महाभारत काल से भी रहा है। बागपत के बरनावा में महाभारत काल का लाक्षागृह भी मौजूद है। दिल्ली से किरठल की दूरी 83 किलोमीटर है तथा बागपत से किरठल की दूरी 35 किलोमीटर है। किरठल के पूर्व में रमाला पश्चिम में हेवा उत्तर में ककड़ीपुर तथा दक्षिण में शेरपुर लुहारा स्थित है।
समिति
किरठल क्षेत्र में जैन परिवारों की संख्या मात्र 7 से 8 परिवारों तक ही है, इसके बावजूद जैन श्वेताम्बर तथा दिगम्बर समाज के लोग मंदिर जी के संचालन, प्रक्षाल तथा देख-रेख का कार्य साथ मिलकर बड़े भक्तिभाव से करते है। मंदिर जी के लिए अन्य किसी प्रकार की समिति का निर्माण नहीं किया गया है।