हिसार बड़ा जैन मंदिर
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एक दृष्टि में

  • नाम
    श्री 1008 भगवान आदिनाथ दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर, नागोरी गेट, हिसार
  • निर्माण वर्ष
    गर्भगृह 200 वर्ष से भी अधिक प्राचीन है
  • स्थान
    नागोरी गेट, हिसार, हरियाणा
  • मंदिर समय सारिणी
    सुबह 5 बजे से रात्रि 8 बजे तक
मंदिर जी का परिचय
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श्री 1008 भगवान आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर हिसार के नागोरी गेट, जैन गली में स्थित है। क्षेत्र में सबसे बड़ा मंदिर परिसर होने के कारण मंदिर जी को बड़ा मंदिर भी कहा जाता है। मंदिर जी का निर्माण राजा श्री हरसुख राय व उनके पुत्र श्री शुगनचन्द जी द्वारा 52 जैन मंदिर निर्माण श्रृंखला में प्रथम स्थान पर करवाया गया। बाद में समय के साथ मंदिर जी का पुण्य निर्माण जैन समाज द्वारा किया गया। मंदिर जी के परिसर में आचार्य श्री 108 विरागसागर महाराज जी की प्रेरणा से कीर्तिस्तंभ बना हुआ है। मंदिर जी में मूलतः एक वेदी है। वेदी में स्वर्ण का कार्य किया गया है, जो वेदी में स्थापित प्रतिमाओं के दर्शन में और सुंदरता प्रदान करता है। वेदी में मूलनायक प्रतिमा प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ भगवान जी की 600 वर्ष से भी अधिक प्राचीन प्रतिमा विराजमान है। मूलनायक प्रतिमा के अतिरिक्त पार्श्वनाथ भगवान, महावीर भगवान, शीतलनाथ भगवान, चन्द्रप्रभु भगवान एवं अन्य प्रतिमाएँ विराजमान है। वेदी में ही श्री पार्श्वनाथ भगवान जी की चाँदी से निर्मित प्रतिमा विराजमान है। श्री 108 विद्यासागर महाराज जी के गुरु श्री 108 ज्ञानसागर महाराज जी का आगमन भी हिसार में हुआ था और उनके आगमन पर लोगो ने दर्शन कर अपने जीवन को सफल बनाया।


राजा हरसुख राय जैन परिवार का योगदान

राजा हरसुख राय जैन अग्रवाल के पूर्वज ला० दीपचन्द जैन रईस, हिसार नगर में रहते थे। राजा हरसुख राय इनकी पाँचवी पीढ़ी में थे। हरसुख राय जी का जन्म सन् 1746 में हिसार नगर में ही हुआ। वे शाहजहां द्वितीय के शाही खजांची रहे। वे बादशाह के अनुरोध पर दिल्ली आ गये और उन्हें शाहआलम ने राज्य का खजांची नियुक्त कर दिया। शाहआलम के विश्वास पात्र होने पर उनकी गिनती नवरत्नों में होने लगी तथा शाहीखजांची के साथ राजा की उपाधि से भी नवाज़ा गया। राजा साहब के सन् 1774 में एक पुत्र हुआ जिसका नाम शुगनचन्द था। 1803 में राजा साहब के स्वर्गवास होने पर शुगनचन्द को भी पिता के बाद शाहआलम ने शाही खजांची नियुक्त कर राजा की उपाधि दे दी गई। राजा शुगनचन्द ईस्ट इण्डिया कम्पनी के शासनकाल तक शाही खजांची रहे। इन का स्वर्गवास 1841 में हुआ।

राजा हरसुखराय व राजा शुगनचन्द ने अपने जीवन में भारत के विभिन्न क्षेत्रों पर 52 दिगम्बर जैन मंदिरों का निर्माण करवाया। राजा साहब ने शाहआलम की विशेष अनुमति प्राप्त कर सन् 1800 में चाँदनी चौक के धर्मपुरा में नया दिगम्बर जैन मन्दिर का निर्माण कर पंचायत को सौंप दिया था। हस्तिनापुर का बड़ा मंदिर, जयसिंहपुरा में अग्रवाल दिगम्बर जैन मंदिर, शाहदरा, पटपड़गंज, जयपुर, आमेर, सांगानेर, हिसार, पानीपत आदि के दिगम्बर जैन मंदिर उन्हीं की देन है। राजा साहब व सेठ शुगनचन्द में अहंकार नाम की कोई चीज ना थी और ना ही स्वयं नाम की अभिलाषा, जिस स्थान पर भी उन्होंने मंदिर बनवाये पंचायत के नाम कर दिये। किसी भी स्थान पर एक भी ईंट या पत्थर पर राजा साहब का नाम खुदा हुआ नहीं मिलेगा।

हिसार नगर का दिगम्बर जैन मंदिर नागोरी गेट उन्हीं की देन है यह मंदिर राजा शुगनचन्द ने निर्माण करवाया था। कहते हैं कि मंदिर के निर्माण का कार्य पूरा होने पर मंदिर के प्रवेश द्वार की पौड़ियों को छोड़ दिया गया तथा नगर के प्रमुख जैन महानुभावों को बुलाकर कहा कि मंदिर जी की पौड़ियों का निर्माण कार्य आप ही करवायें। इस प्रकार मंदिर का निर्माण करवाकर हिसार की पंचायत को सौंप दिया। ला० त्रिलोकचंद जी, दिल्ली के कथनानुसार राजा साहब ने 52 दिगम्बर जैन मन्दिरों में से सबसे पहले जैन मन्दिर अपनी जन्म स्थली हिसार में ही बनवाया था। इसे विधि का विधान ही माना जाएगा कि राजा साहब के वंश में एक ही पुत्र होते रहे। सेठ शुगनचन्द राजा साहब के इकलौते पुत्र थे। उनके परिवार में क्रमशः लाला गिरधारी लाल, पारसदास, ज्ञानचंद, रामचंद्र और लाला हुकमचंद हुए हैं।

वर्तमान में राजा साहब की सातवीं पीढ़ी के श्री त्रिलोकचंद जैन भारत नगर, दिल्ली में निवास करते हैं जिन्होंने अपने पुज्य पिता स्व० लाला हुकमचन्द जैन की स्मृति में 1971 में भारत नगर, दिल्ली में श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर का निर्माण कर अपने पूर्वजों की परम्परा को जीवन्त बनाये रखा है।


जैन समाज एवं सुविधाए

हिसार में 250 से 300 दिगम्बर जैन परिवारों का समाज है। श्री दिगम्बर जैन पंचायत समिति क्षेत्र में मंदिरो का सुचारु रूप से संचालन करती है। मंदिर जी के परिसर में एक त्यागी भवन बना है, जिसे किसी समय जैन धर्मशाला के रूप में उपयोग किया जाता था। धर्मशाला का चलन बंद होने के कारण इसे त्यागी भवन का रूप दे दिया गया है। मंदिर जी में आने वाले यात्रियों के लिए रुकने की सुविधा सूचित करने पर उपलब्ध करवाई जाती है। मंदिर जी में भोजनालय की सुविधा भी सूचित करने पर उपलब्ध करवाई जाती है। मंदिर जी के साथ में ही जैन गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल बना है, जिसका संचालन मंदिर समिति द्वारा किया जाता है। जहाँ 12वी कक्षा तक छात्राओं को कम शुल्क में उत्तम सुविधा के साथ शिक्षा दी जाती है।

समिति द्वारा समाज के लिए श्री 108 आचार्य नेमि सागर जैन धर्मार्थ औषधालय का निर्माण किया गया है। जहाँ नाम मात्र शुल्क पर चिकित्सा दी जाती है। समिति द्वारा निर्मित दन्त चिकित्सालय में आयुर्वेद के वेदाचार्य श्री नरेंद्र शर्मा जी है। समिति द्वारा निर्मित जैन औषधालय में दन्त चिकित्सा प्रियंका शर्मा जी द्वारा दी जाती है। महिलाओं के लिए फिजियोथेरेपी सेंटर का निर्माण भी जैन समिति द्वारा करवाया गया है। जैन महिलाओं द्वारा बच्चो को जैन सिद्धान्तों से अवगत करने के लिए श्री विरागसागर संस्कार पाठशाला चलाई जाती है, ताकि बड़े होकर वे बच्चे जैन सिद्धांतो पर चलकर अपना जीवनयापन करें। पाठशाला प्रति सप्ताह रविवार के दिन सुबह को लगाई जाती है।


क्षेत्र के बारे में (प्राचीन जैन नगरी इस्सूकार आज का हिसार)

प्राचीन शास्त्र उत्तराध्ययन सूत्र में इस्सूकार नगर का कई बार नाम आया है। संस्कृत के विद्वान एवं प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल का मानना है कि जैन आगम के इस प्राचीन शास्त्र में वर्णित इस्सूकार नगर ही आज का हिसार नगर है। दिल्ली से उत्तर-पश्चिम का क्षेत्र भ्रमण संस्कृति से प्रभावित रहा है तथा 2600 वर्ष पूर्व भगवान महावीर स्वामी मगध प्रान्त से विहार कर सिंधु सोमवीर पधारे थे। भगवान महावीर उस समय इस्सूकार नगर भी आये थे तथा इस नगर में 6 जिनेश्वरी दीक्षाएं भी हुई थी। इस की पुष्टि जैन विद्वान व शिक्षाविद् डा० हिम्मतसिंह जैन ने भी की है। शास्त्रों में यह भी उल्लेख आता है कि हिसार के निकट का क्षेत्र भिवानी, दादरी, महेन्द्रगढ़ आदि राजा वर्धन के समय राजपूत जैन बाहुल्य रहा है। इसी का ही परिणाम है कि इस निकटवर्ती क्षेत्र में समय-समय पर भूगर्भ से तीर्थकरों की प्रतिमाएँ प्रकट होती रही है।


समिति

श्री 1008 भगवान आदिनाथ दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर जी के संचालन हेतु श्री दिगम्बर जैन पंचायत समिति का निर्माण किया गया है। समिति के सदस्य इस प्रकार है -

अध्यक्ष - श्री संजीव जैन जी (चार्टर्ड एकाउंटेंट)

सहसचिव - श्री विपिन जैन जी

कोषध्यक्ष - श्री नविन जैन जी

कार्यकारी अध्यक्ष - श्री अमित जैन जी (एडवोकेट)

उपाध्यक्ष - श्री अलोक जैन जी (एडवोकेट)


नक्शा