मंदिर जी का परिचय

श्री 1008 धर्मनाथ रत्नमयी तीस चौबीसी दिगम्बर जैन मंदिर गुरुग्राम (हरियाणा) में गोपाल नगर में स्थित है। बताया जाता है कि स्थानीय जैन निवासी श्री उदय सिंह जैन पुत्र श्री होशियार सिंह जैन के मन में विचार आया कि साधु महाराज जी के निवास के लिए कोई पर्याप्त जगह नहीं है। तो उन्होंने अपने गोपाल नगर में स्थित मकान में से 150 गज का एक भूखंड मंदिर जी के और साधु निवास के लिए दान में दे दिया। उस समय आचार्य रत्न श्री 108 बाहुबली सागर महाराज जी के परम शिष्य सम्मेद शिखर शिरोमणी, आजीवन जल के त्यागी पट्टाचार्य श्री 108 धर्मानन्द सागर जी महाराज एवं मुनि श्री 108 पाशर्वसेन सागर जी महाराज का चातुर्मास गोपाल नगर में हुआ। उनकी प्रेरणा एवं जैन समाज के प्रयास से मंदिर जी का निर्माण किया गया। मंदिर जी की वेदी प्रतिष्ठा भी मुनि महाराज जी के सानिध्य में सम्पन्न हुई है।
मंदिर जी का नाम रत्नमयी तीस चौबीसी दिगम्बर जैन मंदिर इसलिए रखा गया क्योकि मंदिर जी की मूलवेदी को समवशरण का आकर दिया गया है। समवशरण में रत्नमयी तीस चौबीसी अर्थात 720 रत्नो से निर्मित भगवान जिनेन्द्र जी की प्रतिमाएँ विराजमान है। समवशरण के ऊपर श्री 1008 आदिनाथ भगवान जी प्रतिमा मूलनायक के रूप में विराजमान है। हरियाणा व गुरुग्राम का यह एक ऐसा अद्वितीय मंदिर है, जहाँ समवशरण के ऊपर तीस चौबीसी विराजमान है। मंदिर जी में ही माता पद्मावती एवं क्षेत्रपाल बाबा जी की अन्य वेदिया स्थापित है। मंदिर जी में आचार्य श्री 108 धर्मानन्द सागर जी महाराज एवं मुनि श्री 108 पार्श्वसेन जी की स्मृति में गुरु वेदी का निर्माण किया गया है। मंदिर जी में शुद्ध जल के लिए जीवाणी यंत्र का निर्माण का गया है। जिसके शुद्ध जल से प्रतिमाओं पर अभिषेक होता है। मंदिर जी में प्रतिदिन नियमित रूप से जैन श्रावक आकर पूजा-प्रक्षाल एवं अभिषेक किया करते है।
जैन समाज एवं सुविधाए
गुरुग्राम भारत की राजधानी दिल्ली से लगभग 36 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। गुरुग्राम में लगभग सात सौ से आठ सौ जैन परिवारों का समाज है। गुरुग्राम में कई जैन मंदिर है जो क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों पर स्थित है। गुरग्राम के ही गोपाल नगर में श्री 1008 धर्मनाथ रत्नमयी तीस चौबीसी दिगम्बर जैन मंदिर स्थित है। मंदिर जी में प्रतिदिन जैन श्रावकों द्वारा पूजा-प्रक्षाल एवं जलाभिषेक किया जाता है। मंदिर ही से लगभग 500 मीटर की दुरी पर गुरुग्राम सदर बाजार में श्री श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर स्थित है। मंदिर जी के ही साथ में ही जैन धर्मशाला निर्मित है। यदि कोई जैन यात्री किसी दूर के क्षेत्र से मंदिर जी में दर्शन करने के लिए आता है तो उनके लिए रुकने की व्यवस्था जैन धर्मशाला में की की जाती है। धर्मशाला में ही मुनि महाराज जी के लिए त्यागी भवन बना हुआ है। धर्मशाला के साथ में ही भगवान पार्श्वनाथ चैरिटेबल मेडिकेयर सेंटर चलाया जाता है, जिसमे होम्योपैथिक, फिजियोथेरेपी सेंटर, आई सेंटर ,डेन्टिस्ट, बच्चों के स्पेशल डॉक्टर, स्कीन के डॉक्टर अदि की सुविधा उपलब्ध है।
क्षेत्र के बारे में
गुरुग्राम या गुड़गाँव हरियाणा राज्य का एक नगर है जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से सटा हुआ है। यह फरीदाबाद के बाद हरियाणा का दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला नगर है। गुरुग्राम दिल्ली के प्रमुख सैटेलाइट नगरों में से एक है और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का हिस्सा है। चण्डीगढ़ और मुम्बई के बाद यह भारत का तीसरा सबसे ज्यादा पर-कैपिटा इनकम वाला नगर है। लोकमान्यता अनुसार महाभारत काल में इन्द्रप्रस्थ (वर्तमान दिल्ली) के राजा युधिष्ठिर ने यह ग्राम अपने गुरु द्रोणाचार्य को दिया था। उनके नाम पर ही इसे गुरुग्राम कहा जाने लगा, जो कालांतर में बदलकर गुड़गांव हो गया था। गुरुग्राम यह नगर राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
समिति
मंदिर जी के सुचारू संचालन हेतु श्री दिगम्बर जैन मंदिर समिति का निर्माण किया गया है। समिति में कार्यरत सदस्य इस प्रकार है -
प्रधान - श्री सतेन्द्र जैन जी
सचिव - श्री अभिषेक जैन