मंदिर जी का परिचय

श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर दिल्ली से लगभग बीस किलोमीटर की दूरी पर फरीदाबाद बाईपास रोड के समीप स्थित है। वर्ष 1976 की बात है जब आस पास कोई भी जैन मंदिर नहीं था जिस कारण जैन समाज के लोगों को दर्शन करने के लिए फरीदाबाद से 8 किलोमीटर दूर बल्लभगढ़ के प्राचीन मंदिर में जाना पड़ता था। स्थानीय जैन समाज के श्री जिनेन्द्र कुमार जैन जी को यहाँ कि यह दशा देखकर बहुत दुख हुआ करता था। उन्हें यह दिशा देखकर लगता था कि स्थानीय जैन समाज कही धर्मलाभ से वंचित न रह जाए इसलिए एक मंदिर जी का होना अति आवश्यक है।
श्री जिनेन्द्र कुमार जी एवं उनके परिवार के द्वारा 250 गज भूमि दान में दी गई। उपरांत स्थनीय जैन समाज द्वारा भूमि पर चैत्यालय का निर्माण कर श्री 1008 पार्श्वनाथ भगवान जी की प्रतिमा को अस्थाई रूप से विराजमान किया गया। जिससे लोगों को दर्शन करने के लिए किसी अन्य क्षेत्र पर अब जाना नहीं पड़ता था। कुछ समय बाद जैन समाज द्वारा चैत्यालय को शिखरबंद जिन मंदिर जी के रूप में परिवर्तित किया गया। चार से आठ फरवरी 1984 की श्री 108 ज्ञान भूषण जी महाराज के सानिध्य एवं सुभाशीष के साथ श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर जी का पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव सम्पन्न हुआ। बाद में जैन धर्मावलम्बी बन्धुओ की बढ़ती आवश्यकतानुसार समाज ने मंदिर जी के साथ में ही स्थित प्लाट नं. 1951 एवं 1950 वर्ष 1994 में क्रय कर मंदिर जी के क्षेत्रफल का विस्तार किया।
मंदिर जी की मूल वेदी प्रथम तल पर स्थित है जिसमें मूलनायक प्रतिमा श्री 1008 पार्श्वनाथ भगवान जी की है। पार्श्वनाथ भगवान जी की प्रतिमा के साथ ही अन्य जैन तीर्थंकरों की प्रतिमाएँ भी वेदी में विराजमान है। मंदिर जी की मूल वेदी ऊपरी तल पर होने के कारण जो लोग वृद्ध अवस्था में है उन्हें सीढ़िया चढ़ने में कठिनाई का सामना करना पड़ता था। इसलिए जैन समाज द्वारा मंदिर जी के नीचे तल पर भी वेदी का निर्माण करवाया गया एवं वेदी में मूलनायक प्रतिमा श्री आदिनाथ भगवान जी की विराजमान की गई है। मंदिर जी में दोनों वेदियो के ऊपर चाँदी से निर्मित छत्र एवं चंवर विराजमान है। गर्भगृह की छत पर काँच के ऊपर तीर्थंकरों को दर्शाया गया है। मंदिर जी में समय-समय पर जैन साधु-महाराज जी का चातुर्मास तथा आगमन होता रहता है। आचार्य श्री 108 तरुण सागर जी महाराज एवं आचार्य श्री 108 ज्ञानभूषण जी महाराज का तीन बार चातुर्मास मंदिर जी में हो चूका है। मंदिर जी में प्रतिदिन स्थानीय जैन समाज से 250 से 300 श्रावक एवं श्राविकाएँ आकर पूजा-प्रक्षाल एवं जलाभिषेक करते है।
जैन समाज एवं सुविधाए
फरीदाबाद में जैन समाज केवल 400 से 500 परिवारों के करीब है। फरीदाबाद में जैन मंदिर अलग अलग क्षेत्रों में बने है। प्रत्येक मंदिर जी के लिए अलग समिति का निर्माण किया गया है। समिति द्वारा ही मंदिर जी का संचालन सुचारु रूप से किया जाता है। फरीदाबाद के सेक्टर 16 में श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर स्थित है। मंदिर जी में प्रतिदिन आने वाले श्रावकों के लिए शुद्धता का विशेष ध्यान रखा गया है। क्षेत्र में समय-समय पर जैन साधु-महाराज जी का आगमन होता रहता है। महाराज जी के आगमन पर रुकने की व्यवस्था आचार्य श्री देशभूषण निलय भवन में की जाती है। निलय भवन के तलघर में एक्यूप्रेशर थैरेपी से चिकित्सा दी जाती है। यदि कोई यात्री मंदिर जी में सम्पर्क करके आता है तो उनके रुकने की व्यवस्था भी जैन समाज द्वारा उपलब्ध करवाई जाती है। मंदिर समिति द्वारा हर प्रकार के सामाजिक कार्यक्रमों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेता है। मंदिर जी की समिति द्वारा ही होम्योपैथिक डिस्पैंसरी का भी संचालन किया जाता है। बच्चों में धर्म के प्रति सद्भावना बनी रहे इसलिए जैन समाज द्वारा प्रति रविवार मंदिर जी में नैतिक शिक्षण की पाठशाला के माध्यम से बच्चों को जैन धर्म से जुड़ी शिक्षा दी जाती है।
क्षेत्र के बारे में
फरीदाबाद हरियाणा राज्य का एक जिला है। फरीदाबाद भारत की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली महानगर का एक महत्वपूर्ण उपनगर है। यह शहर दिल्ली के निकटतम शहरों में से एक है और दिल्ली नेशनल कैपिटल टेरिटरी का एक हिस्सा भी है। फरीदाबाद नगर निगम के अंतर्गत आता है और उत्तर भारत की एक प्रमुख उद्योगी नगरी है। फरीदाबाद शहर की स्थापना 1607 शेख फरीद ने की थी जिसे बाबा फरीद के नाम से भी जाना जाता है। बाबा फरीद एक प्रसिद्ध सूफी संत थे और मुगल बादशाह जहाँगीर के कोषाध्यक्ष भी थे। यहाँ पर बाबा फरीद की मजार भी बनी हुई है। 1950 में भारत के विभाजन के बाद पाकिस्तान से आए शरणार्थियों का एक बड़ा समूह यहाँ आ कर बस गया। उनके पुनर्वास के लिए उद्योग स्थापित किए गए थे। बाद में विभिन्न समुदायों, क्षेत्रों और धर्मों के लोग भी फरीदाबाद में आकर बस गए। प्रारंभ में यह गुड़गाँव जिले का ही एक हिस्सा था। 15 अगस्त 1979 को फरीदाबाद को एक अलग जिले के रूप में स्थापित किया गया था। फरीदाबाद व्यापार, उद्योग, और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है। यहां कई उद्योगों के कारण व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र है, जिसमें ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, और स्टील उद्योग शामिल हैं। इसके अलावा यहां कई अच्छे शिक्षा संस्थान भी हैं। सम्पूर्ण रूप से फरीदाबाद एक व्यापारिक, उद्योगिक और सांस्कृतिक नगर है जो अपने विविधता और उत्कृष्टता के लिए प्रसिद्ध है। यहां की जनसंख्या में भी तेजी से वृद्धि हो रही है, जो शहर को एक नवीन और विकसित रूप दे रही है।
समिति
मंदिर जी के सुचारु रूप से संचालन के लिए समिति का निर्माण किया गया है। समिति में कार्यरत सदस्य इस प्रकार है -
अध्यक्ष - श्री पी.सी. जैन
कोषाध्यक्ष - श्री डी.के. जैन
महासचिव - श्री एल.सी. जैन