मंदिर जी का परिचय

मेरठ से बिजनौर नेशनल हाईवे 34 पर, हस्तिनापुर से 7.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, श्री 1008 चंद्रप्रभु दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र बेहसुमा। बेहसुमा का इतिहास महाभारत काल से रहा है। इसी क्षेत्र में ही भीष्म पितामह का जन्म हुआ था। जिनके नाम पर ही इस क्षेत्र का नाम बहसुमा हुआ। मंदिर जी का मुख्य द्वार बेहसुमा पुलिस स्टेशन से आगे बहसुमा बाजार की पतली गलियों से होकर लगभग 500 मीटर की दूरी पर है। लेकिन मंदिर जी का शिखर आपको मुख्य मार्ग से ही दिखाई दे जाएगा। मंदिर जी का रास्ता बाजार से होकर जाने के कारण हमारा सुझाव है की आप अपने वाहन को बाजार के बाहर खड़ा करके पैदल चलकर मंदिर जी में प्रवेश करें। बताया जाता है पूर्व में गंग नहर की खुदाई के दौरान जैन प्रतिमाएँ प्राप्त हुई थी। उन प्रतिमाओं को हस्तिनापुर बड़ा जैन मंदिर जी में स्थापित करने के लिए जो सम्भवता एक मात्र प्राचीन जैन मंदिर था। उस समय जैन समाज द्वारा बैलगाड़ी से हस्तिनापुर के लिए लाया गया। रास्ते में विश्राम के लिए वह बेहसुमा रूके। प्रातः जब बैलगाड़ी को लेकर आगे हस्तिनापुर की ओर जाने लगे तो बैलगाड़ी आगे नहीं बढ़ी। बहुत प्रयास के बाद भी कुछ नहीं हुआ जिसके कारण समाज द्वारा निर्णय लिया गया कि वह इन प्रतिमाओं को इसी क्षेत्र में मंदिर जी का निर्माण कर स्थापित करेंगे।
उस समय जैन समाज के एक व्यक्ति द्वारा मंदिर बनाने के लिए जगह दी गई तथा बाद में मंदिर जी का निर्माण कर प्रतिमाओं को मंदिर जी में स्थापित किया गया। बताया जाता है कि मंदिर जी में सच्ची श्रद्धा के साथ प्रार्थना करने पर प्रार्थना जरूर पूर्ण होती है। लोगो की मान्यता है की मंदिर जी में देवों का आवागमन होता रहता है। मंदिर जी में वर्तमान में केवल एक वेदी है। पहले जब मंदिर जी का निर्माण कार्य चल रहा था तो कुछ समय के लिए प्रतिमाओं को एक अन्य वेदी में रखा गया था। बहसूमा मंदिर जी में भगवान चंद्रप्रभु जी की चतुर्थकालीन मूल प्रतिमा विराजमान है। मंदिर जी में स्थापित प्रतिमाएँ अत्यंत अतिशयकारी है। मंदिर जी की वेदी में ही श्री 1008 पार्श्वनाथ भगवान जी की अति प्राचीन प्रतिमा भी विराजमान है। हस्तिनापुर बड़ा मंदिर जी में जाने से पहले सभी जैन मुनि आचार्य का बेहसुमा में आगमन अवश्य होता है।
सुविधाएं एवं धर्मशाला
यदि आप हस्तिनापुर बड़ा जैन मंदिर जी जाते है तो आप हस्तिनापुर से 17 किलोमीटर पहले श्री 1008 चन्द्रप्रभु दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र बेहसुमा में दर्शन अवश्य करें। वैसे तो वर्तमान समय में हस्तिनापुर एक विकसित क्षेत्र का रूप ले चुका है जहाँ बाहर से आने वाले यात्रिओं के लिए हर प्रकार की सुविधाए उपलब्ध है परन्तु आप चाहे तो बेहसुमा मंदिर जी में ही विश्राम कर सकते है। मंदिर जी में बाहर से आने वाले यात्रियों के लिए रुकने की व्यवस्था बनी हुई है। मंदिर जी में चार कमरे एवं भोजनालय की व्यवस्था उपलब्ध है तथा मंदिर जी के सामने ही दिगम्बर जैन धर्मशाला का निर्माण किया जा रहा है जिसमें दो बड़े हॉल, चार कमरे व भोजनालय का प्रबंध किया जाएगा।
मेरठ क्षेत्र के बारे में
दिल्ली से मेरठ की दूरी लगभग 70 किलोमीटर है। जनसँख्या की दृष्टि से उत्तर प्रदेश का यह पाँचवाँ सबसे अधिक जनसंख्या वाला क्षेत्र है। कानपूर के बाद सैन्य छावनी में मेरठ दूसरे अंक पर आता है। मेरठ को स्पोर्टस सिटी के नाम से भी जाना जाता है। इसकी सीमाएँ गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर तथा बुलंद शहर से लगती है। मेरठ का इतिहास महाभारत काल से भी रहा है। महाभारत में मेरठ को मायाराष्ट्र कहा जाता था। सन 1857 की क्रांति में शहीद हुए क्रांतिकारियों की याद में यहाँ शहीद स्मारक स्थापित है। भारत में कैंची का निर्यात मेरठ से ही होता है। मेरठ में जम्बूद्वीप मंदिर, अष्टापद मंदिर तथा भगवान शांतिनाथ मंदिर अन्य कई जैन मंदिर स्थापित है।
समिति
श्री 1008 चन्द्रप्रभु दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र बेहसुमा एक मुख्य जैन क्षेत्र होने के कारण मंदिर जी का संचालन श्री दिगम्बर जैन सेवा समिति, बेहसुमा द्वारा होता है। समिति के सदस्य इस प्रकार है :-
कोषाध्यक्ष - श्री सुभाष जैन जी
अन्य सदस्य - श्री आशीष जैन, श्री प्रदीप जैन एवं श्री सिद्धार्थ जैन