बादशाहपुर श्री चन्द्रप्रभु चैत्यालय
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एक दृष्टि में

  • नाम
    श्री 1008 चन्द्रप्रभु दिगम्बर जैन चैत्यालय, बादशाहपुर
  • निर्माण वर्ष
    मंदिर जी में प्रथम पंचकल्याणक सन् 2023 में हुआ
  • स्थान
    सोहना रोड, बादशाहपुर, गुरुग्राम, हरियाणा
  • मंदिर समय सारिणी
    सुबह 6 बजे से रात्रि 8 बजे तक
मंदिर जी का परिचय
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श्री 1008 चन्द्रप्रभु दिगम्बर जैन चैत्यालय, गुरुग्राम सोहना हाईवे रोड पर स्थित है। चैत्यालय का निर्माण वर्ष 2023 में परम पूज्य मुनि श्री 108 अनुमान सागर जी महाराज के सानिध्य में किया गया है। चैत्यालय का कुल क्षेत्रफल 3500 गज भूमि पर विस्तृत है। चैत्यालय के निर्माण से पूर्व यहाँ भूमि पर एक छोटा पार्क हुआ करता था। गुरुग्राम में जैन मंदिर अलग-अलग क्षेत्रों में होने के कारण जैन परिवार दर्शन नहीं कर पा रहे थे। क्षेत्र में सन् 2023 में मुनि श्री 108 अनुमान सागर जी महाराज का आगमन हुआ। उन्होंने जैन समाज से कहाँ कि यदि क्षेत्र में जैन मंदिर नहीं होगा तो कई जैन परिवार मंदिर जी के दर्शनलाभ से वंचित रह जाएंगे। स्थानीय समाज द्वारा निर्णय लिया गया कि सोहना रोड के पास वाली भूमि पर ही चैत्यालय का निर्माण किया जाये। सभी जैन परिवारों की सहमति से श्री 1008 चन्द्रप्रभु दिगम्बर जैन चैत्यालय का निर्माण कार्य सम्पूर्ण हुआ।

चैत्यालय में श्री 1008 चन्द्रप्रभु भगवान जी की प्रतिमा को मूलनायक प्रतिमा के रूप में विराजमान किया गया है। श्री चन्द्रप्रभु भगवान जी की इस प्रतिमा को बादशाहपुर प्राचीन जैन मंदिर से लाकर विराजमान किया गया है। यह प्रतिमा 500 वर्ष से भी अधिक प्राचीन एवं अतिशयकारी प्रतिमा है। दूर-दूर के क्षेत्रों से लोग आकर चन्द्रप्रभु भगवान प्रतिमा के दर्शन करते है तथा अपने मन को भगवान जी के प्रति समर्पित करते है। मूलनायक प्रतिमा के साथ में ही, श्री 1008 पार्श्वनाथ भगवान एवं श्री 1008 शान्तिनाथ भगवान जी की प्रतिमा वेदी में विराजमान है। चैत्यालय में समय-समय पर साधु महाराज जी का आगमन होता रहा है। जब साधु महाराज का आगमन गुरुग्राम में होता है तो वे यहाँ चैत्यालय में आकर भगवान चन्द्रप्रभु जी की दर्शन अवश्य करते है।


जैन समाज एवं सुविधाए

वर्तमान में गुरुग्राम हर प्रकार की सुविधाओं से युक्त एक इंडस्ट्रियल हब बन चुका है, जहाँ भिन्न-भिन्न समुदाय के लोग एक साथ रहते है। गुरुग्राम में लगभग सात सौ से आठ सौ जैन परिवारों का समाज है। गुरुग्राम से आठ किलोमीटर की दुरी पर बादशाह पुर स्थित है। बादशाहपुर में भी तीस से अधिक जैन परिवारों का समाज है। जैन समाज द्वारा ही मंदिर जी का संचालन किया जाता है। क्षेत्र में जैन समाज द्वारा निर्मित जैन धर्मशाला में किसी दूर के क्षेत्र से आने वाले यात्रियों के लिए रुकने की व्यवस्था की जाती है।


क्षेत्र के बारे में

गुरुग्राम या गुड़गाँव हरियाणा राज्य का एक नगर है जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से सटा हुआ है। यह फरीदाबाद के बाद हरियाणा का दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला नगर है। गुरुग्राम दिल्ली के प्रमुख सैटेलाइट नगरों में से एक है और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का हिस्सा है। चण्डीगढ़ और मुम्बई के बाद यह भारत का तीसरा सबसे ज्यादा पर-कैपिटा इनकम वाला नगर है। लोकमान्यता अनुसार महाभारत काल में इन्द्रप्रस्थ (वर्तमान दिल्ली) के राजा युधिष्ठिर ने यह ग्राम अपने गुरु द्रोणाचार्य को दिया था। उनके नाम पर ही इसे गुरुग्राम कहा जाने लगा, जो कालांतर में बदलकर गुड़गांव हो गया था। गुरुग्राम यह नगर राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।


समिति

मंदिर जी के सुचारू संचालन हेतु श्री दिगम्बर जैन मंदिर समिति का निर्माण किया गया है। समिति में कार्यरत सदस्य इस प्रकार है -

पूर्व अध्यक्ष - - श्री संजीव जैन

प्रधान - श्री दयाचन्द जी जैन

सचिव - श्री राकेश जैन


नक्शा