मंदिर जी का परिचय

श्री 1008 दिगम्बर जैन अहिंसा धर्मार्थ तीर्थ, जगाधरी-अम्बाला रोड पर अम्बाला कैंट से लगभग 5.5 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। वर्ष 2014 में आचार्य श्री 108 प्रमुख सागर जी महाराज का चातुर्मास अम्बाला के गुडबाजार में स्थित बड़ा जैन मंदिर में हुआ था। जब क्षेत्र पर जैन साधु-महाराज जी का आगमन होता था तो आस-पास महाराज जी के लिए विश्राम की कोई व्यवस्था नहीं थी। महाराज जी की इच्छा थी कि क्षेत्र पर अहिंसा तीर्थ का निर्माण किया जाए, तथा स्थानीय जैन समाज ने आपसी सहमति से निर्णय लिया की इसी क्षेत्र पर श्री 1008 दिगम्बर जैन अहिंसा धर्मार्थ तीर्थ का निर्माण किया जाएगा। अहिंसा तीर्थ के निर्माण हेतु भूमि देने का कार्य अम्बाला दिगम्बर जैन समिति गुड़बाजार के प्रधान श्री आई.के. जैन जी द्वारा किया गया। मंदिर जी में पंचकल्याणक सन् 2015 में आचार्य श्री 108 प्रमुख सागर जी महाराज के सानिध्य में हुआ है।
मंदिर जी का पूरा क्षेत्रफल लगभग एक एकड़ भूमि पर विस्तृत है। मंदिर जी के परिसर में स्थित 52 फुट ऊँचा मानस्तंभ मंदिर जी की भव्यता को ओर भी बढ़ाता है। मानस्तंभ में 24 तीर्थंकरो की प्रतिमाओं को विराजमान किया गया है। मंदिर जी की मूल प्रतिमा भगवान आदिनाथ जी की 56 फुट ऊँची है। मूल प्रतिमा के साथ भरत एवं भगवान बाहुबली जी की 32 फुट ऊँची प्रतिमाएँ विराजमान है। मंदिर जी के परिसर में एक चैत्यालय का निर्माण किया गया है। चैत्यालय में मूलनायक प्रतिमा प्रथम जैन तीर्थंकर श्री 1008 आदिनाथ भगवान जी की विराजमान है। मंदिर जी के परिसर में ही 41 फुट ऊँचे ॐ एवं ह्रीं का निर्माण किया गया है। ॐ एवं ह्रीं का निर्माण एक ही पत्थर को काटकर किया गया है। ह्रीं में चौबीस जैन तीर्थंकर एवं ॐ में पंचपरमेष्ठी विराजमान है। मंदिर जी के परिसर में आचार्य श्री की समाधि स्थल के नीचे एक ध्यान केंद्र का निर्माण किया गया है। प्रतिदिन मंदिर जी में दूर-दूर से यात्री प्रतिमाओं के दर्शन करने आते है।
नाग देवता के दर्शन
मंदिर जी में कार्यरत श्री राकेश जी बताते है कि वे अपना कुछ काम कर रहे थे, तो उन्हें मंदिर जी के परिसर में ध्यान केंद्र के पास एक काले रंग सर्प दिखाई दिया। वह सर्प लगभग पाँच फिट लम्बा था। वह सर्प का पीछा करते हुए ध्यान केंद्र के पास वाली दीवार के पास जा पहुँचते है और अपने मोबाइल से सर्प की तस्वीर खींचते है। वह सर्प वहाँ से गायब हो जाता है। जब उन्होंने अपने मोबाइल में तस्वीर को देखा तो, वह तस्वीर को देखकर आश्चर्यचकित रह गए, क्यूँकि तस्वीर में वह सर्प था ही नहीं। इसके बाद भी कई बार वह सर्प उन्हें दिखाई दिया है, लेकिन आज तक नाग देवता द्वारा किसी को भी हानि नहीं पहुँचाई गई है। उनका अपना मानना है की वह सर्प नहीं है वह हमारे रक्षक देव है।
जैन समाज एवं सुविधाए
अम्बाला में जैन समाज का जनहित में भी सक्रिय योगदान रहा है, इसमें कोई संदेह नहीं है। अम्बाला-जगाधरी मेन रॉड पर श्री 1008 दिगम्बर जैन अहिंसा धर्मार्थ तीर्थ क्षेत्र का निर्माण जैन समाज द्वारा करवाया गया है। मंदिर जी के निर्माण से जैन समाज में एक अलग ऊर्जा का संचार हुआ है। मंदिर जी में दूर-दूर के क्षेत्रों से लोग दर्शन करने आते है। मंदिर जी में दर्शन करने आने वाले यात्रियों के लिए सभी प्रकार की सुविधाओं का प्रबंध जैन समाज मंदिर समिति द्वारा किया गया है। यात्रियों के लिए रुकने की व्यवस्था में पंद्रह कमरों का निर्माण किया गया है। यदि कोई यात्री संपर्क कर मंदिर जी में आता है तो भोजन की व्यवस्था भी उपलब्ध कराई जाती है। मंदिर जी में त्यागी भवन व ध्यान केंद्र का भी निर्माण किया गया है। मंदिर परिसर में सुंदर बगीचे का निर्माण किया गया है जहाँ किसी विशेष सामारोह या महाराज जी के आगमन पर प्रवचन सुनने के लिए एक साथ पाँचसौ से भी अधिक लोग एकत्रित हो सकते है।
अम्बाला क्षेत्र के बारे में
अम्बाला को दो उपक्षेत्र में बाटा गया है जिन्हें अम्बाला शहर व अम्बाला छावनीं (कैंट) के नाम से जाना जाता है। अम्बाला हरियाणा व पंजाब की सीमा पर स्थित है। यह भारत की राजधानी दिल्ली से दो सौ किलोमीटर उत्तर की ओर शेरशाह सूरी मार्ग (राष्ट्रीय राजमार्ग नम्बर 1) पर स्थित है। अम्बाला शहर दो नदियों घग्गर ओर टांगरी नदी को अलग करता है। अम्बाला शहर का रेलवे जंक्शन उतर भारत का एक अभिन्न अंग है। अम्बाला शहर को वैज्ञानिक उपकरणो का शहर भी कहा जाता है। अंबाला एक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक शहर भी है। वैज्ञानिक उपकरणों, सिलाई मशीनों, मिश्रण यंत्रों (मिक्सर) और मशीनी औज़रों के निर्माण तथा कपास की ओटाई, आटा मिलों व हथकरघा उद्योग की दृष्टि से अंबाला छावनी व शहर, दोनों उल्लेखनीय हैं। अम्बाला नाम की उत्पत्ति शायद महाभारत की अम्बालिका के नाम से हुई होगी। आज के जमाने में अम्बाला अपने विज्ञान सामग्री उत्पादन व मिक्सी उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। अम्बाला को विज्ञान नगरी कह कर भी पुकारा जाता है क्योंकि यहां वैज्ञानिक उपकरण उद्योग केंद्रित है। भारत के वैज्ञानिक उपकरणों का लगभग 40 प्रतिशत उत्पादन अम्बाला में ही होता है। एक अन्य मत यह भी है कि यहां पर आमों के बाग बगीचे बहुत थे, जिससे इस का नाम अम्बा वाला अर्थात अम्बाला पड़ गया।
समिति
मंदिर जी के सुचारु रूप से संचालन के लिए मंदिर समिति का निर्माण किया गया है। समिति में कार्यरत सदस्य इस प्रकार है -
प्रधान - श्री आई.के. जैन जी
सचिव - श्री सतीश जैन जी